Mahashivratri in Hindi – महाशिवरात्रि का महत्व, पूजा विधि, व्रत कथा, व्रत नियम एवं 6 गलतियाँ जो न करें

Mahashivratri in Hindi – महाशिवरात्रि का महत्व, पूजा विधि, व्रत कथा, व्रत नियम एवं 6 गलतियाँ जो न करें

Mahashivratri in Hindi – महाशिवरात्रि से जुड़ी प्रत्येक जानकारी

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हिंदू धर्म में कई तरह के पर्व मनाये जाते है। इसमें महाशिवरात्रि का पर्व बहुत ही महत्वपूर्ण है। प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास की चतुर्दशी तिथि पर इसे मनाया जाता है। कहा जाता है की संसार का आरम्भ इसी दिन से हुआ था। 

महाशिवरात्रि का पावन पर्व भगवान शिव के भक्तो के लिए बेहद ही खास होता है, वे इन्हे बड़े उत्साह से मनाते है। इस दिन आराध्य शिव जी की पूजा पाठ की जाती है, भजन गाये जाते है, पूरे दिन उपवास किया जाता है, रात्रि जागरण किया जाता है आदि। इस दिन से जुडी बहुत सी कथाये है जिसके बारे में हम आपको आज के लेख में विस्तार से बताएँगे तो आइये जानते है Mahashivratri in Hindi विस्तार से। 

क्यों मनाया जाता है महाशिवरात्रि उत्सव (Importance of Mahashivratri in Hindi)

महाशिवरात्रि का त्यौहार प्रमुख रूप से देवो के देव महादेव के लिए समर्पित है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन को लेकर कई मान्यताएं और कहानियां है। तो आइये जानते है हम महाशिवरात्रि क्यों मनाते हैं?

अग्नि-स्तंभ के रूप में प्रकट हुए थे शिवजी

फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन शिव जी एक शिवलिंग के अवतार में प्रकट हुए थे। वो शिवलिंग करोडो सूर्य के समान प्रभावी था। हुआ यु था की जब इस संसार की रचना हुयी तब विष्णु भगवान और ब्रम्हा जी में एक बहस छिड़ गयी की उन दोनों में से आखिर श्रेष्ठ कौन है। तभी करोडो सूर्य के समान तेज वाला एक बहुत विशाल अग्नि स्तम्भ प्रकट हुआ। इसे देखकर विष्णु भगवान और ब्रम्हा जी दोनों ही आश्चर्य में पड़ गए उन्होंने इस स्तम्भ का पता लगाने की भी बहुत कोशिस की पर वे दोनों नाकाम रह गए। क्योकि अग्नि स्तम्भ का न अंत था न आरम्भ। इसके बाद भगवान भोले भंडारी ने उस अग्नि स्तम्भ(शिवलिंग) से दर्शन दिए। तब से ही पहली शिवरात्रि का आरम्भ हुआ था। 

हुआ था शिव और पार्वती का विवाह 

कहा जाता है की महाशिवरात्रि के दिन शिव जी और माता पार्वती जी की शादी हुई थी। माता ने कठोर प्रतिज्ञा करके शिव जी को अपने वर के रूप में पाया था। यह दिन शिवजी के लिए बेहद प्रिय है। इस दिन भारत में कई जगह शिव जी की बारात को निकाला जाता है। 

शिव और शक्ति का मिलन 

शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है इस बात से कई पौराणिक कथाये जुडी हुयी है। कहा जाता है की इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का मिलन हुआ, जिससे सृष्टि का आरम्भ हुआ था। इसलिए यह दिन बहुत खास और महत्वपूर्ण है। आपको बतादे की वर्ष में 12 शिवरात्रि आती है, किन्तु 12 शिवरात्रि में पूजा करने से जो फल प्राप्त होता है वह फल यदि महाशिवरात्रि के दिन पूरी विधि विधान से पूजा पाठ किया जाये तो एक दिन में ही प्राप्त हो जाता है। 

64 जगहों पर उत्‍पन्न हुए थे शिवलिंग

एक पौराणिक मान्यता की माने तो उसके अनुसार शिवरात्रि के दिन अलग अलग 64 जगहों पर शिवलिंग प्रकट हुए थे। इनमे से केवल 12 ज्योतिर्लिंगों की जानकारी उपलब्ध है।

महाशिवरात्रि पूजा विधि इन हिंदी: शिव जी को प्रसन्न करने के लिए

ऐसा कहा जाता है कि भगवान भोले भंडारी को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है, इसलिए ही तो उन्हें भोले नाम दिया गया है। जो भी भक्त पुरे मन से भोले जी को याद करता है वो हर संकट से दूर रहता है। भगवन भोले जी को याद करने उनकी आराधना करने के लिए  महाशिवरात्रि का दिन सबसे उत्तम है। तो आइये जानते है Mahashivratri Puja Vidhi in Hindi क्या है?

महाशिवरात्रि पूजा विधि
Mahashivratri Pooja
  • शिवरात्रि के दिन सबसे पहले स्नान करके शुद्ध हो जाये उसके बाद व्रत(उपवास) करने का संकल्प ले। 
  • इसके बाद आप पूजा-पाठ करने की शुरवात कर सकते है। 
  • पूजा पाठ शुरू करने से पहले माथे पर त्रिपुंड लगाना ना भूले। 
  • त्रिपुंड लगाने के लिए हाथ की तीनो उंगलियों पर विभूत लगाए और माथे पर बाए से दांये की तरफ लगाए।   
  • पूजा करने के लिए सबसे पहले कलश में पानी भरकर शिवजी भगवान का जल अभिषेक करे। 
  • इसके बाद दूध, दही, शहद और घी से भी अभिषेक करे। 
  • इसके पश्चात पूजा सामग्री जैसे की अक्षदा, चन्दन, इत्र, बेल पुष्प, चावल आदि चढ़ाये। 
  • यह सामग्री चढ़ाते वक्त ओम नम: शिवाय का जाप करना ना भूले। 
  • इसके पश्चात दीपक और धुप बत्ती से भगवान की आरती उतारे। 
  • भगवान जी को फलो का प्रसाद चढ़ाये।  
  • पूजा होने के बाद शिव जी के मंत्रो का जाप करते हुए उनके सामने बैठे। 
  • शिवरात्रि के दिन शिव चालीसा पढ़ने से भी आपको अच्छा लाभ प्राप्त होता है।  
  • अगर आपके घर के आस पास शिव जी मंदिर नहीं है तो कोई बात नहीं आप घर पर ही मिटटी का शिवलिंग बनाकर उनकी पूजा पाठ कर सकते है।

महाशिवरात्रि पूजा सामग्री (Pooja ingredients for Mahashivratri in Hindi)

महाशिवरात्रि पूजा में अभिषेक के लिए गंगा जल, गाय का शुद्ध कच्चा दूध, शहद और घी, लगाने के लिए चंदन, साबुत हल्दी, साबुत चावल(अक्षत्)और भस्म, भोग के लिए पांच प्रकार के फल और मिश्री, चढ़ाने के लिए शिव जी के प्रिय बेलपत्र और धतूरा फूल तथा पुष्पमाला, आरती के लिए दीप, कपूर और धूप, इसके अतिरिक्त , केसर, मौली यानी कलावा, पूजा के बर्तन, वस्त्र, लौंग, खस,  सुपारी, जनेऊ, शमी का पत्र  इत्र, रत्न-आभूषण, आसन पार्वती जी की श्रंगार सामग्री आदि सामान लगता है। 

महाशिवरात्रि के व्रत का महत्व (Importance of fasting on Mahashivratri in Hindi)

भगवान शिव शंकर की महिमा अपरंपार है। इसलिए शिवरात्रि के दिन शिव जी को प्रसन्न करने के लिए उनके भक्त व्रत रखते है। व्रत रखने से भगवान भोले प्रसन्न होते है और अपने भक्तो को आशीर्वाद देते है। यदि आप भी व्रत रखना चाहते है तो आइये जानिए mahashivratri vrat benefits in hindi

महाशिवरात्रि व्रत विधि
महाशिवरात्रि व्रत विधि
  • यह व्रत रखने से हर जनम के पापों से मुक्ति मिलती है। 
  • महाशिवरात्रि का व्रत उन लड़कियों को जरूर रखना चाहिए जो मनचाहा वर पाना चाहती है। 
  • व्रत रखने से नकारात्मक विचार दूर होते है, सकारात्मक विचार आते है और आत्मा शुद्ध होती है। 
  • इस व्रत को करने से विवाह से सम्बंधित सारी बाधाएं दूर होती है, जिस कन्या की शादी नहीं हो रही उसे यह व्रत जरूर करना चाहिए। 
  • महाशिवरात्रि का व्रत करने से दांपत्य जीवन में खुशिया आती है। 
  • इस व्रत को रखने से मनुष्य का कल्याण होता है और सभी मनोकामनाएं भी पूरी हो जाती है। 
  • जो लोग मुक्ति प्राप्त करना चाहते है उन्हें यह व्रत रखना चाहिए। 
  • इस व्रत से दुःख और पीड़ा का अंत  है और सुख तथा धन धान्य की प्राप्ति होना निश्चित है।

Shivratri Fasting Rules – महाशिवरात्रि व्रत में ना करे यह गलतियां

आपने महाशिवरात्रि व्रत के फायदे तो जान लिए, किन्तु इस व्रत को नियम अनुसार करना बहुत जरुरी है, इसलिए महाशिवरात्रि व्रत में यह गलतिया करने से बिलकुल बचे:- 

ना चढ़ाये केतकी के फूल 

आपको महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को कौनसे फूल चढ़ेंगे इसका भी ख्याल रखना होता है। आपको भगवान भोले की पूजा करते वक्त केतकी के फूल बिलकुल भी नहीं चढ़ाना है। क्योंकि एक पौराणिक कथा के अनुसार देवो के देव महादेव ने अपनी पूजा से  केतकी के फूल का त्याग कर दिया है।

टूटे हुए चावल ना चढ़ाये 

भगवान शिव जी की पूजा में अक्षत अर्पित किये जाते है। अक्षत का मतलब साबुत चावल होता है। टूटे हुए चावल को अशुद्ध और अपूर्ण माना जाता है। इसलिए इन्हे ना चढ़ाये। 

काले कपडे ना पहने 

महाशिवरात्रि की पूजा के दिन काले कलर के कपडे नहीं पहनना चाहिए। ऐसा माना जाता है की त्रिदेव शिव जी को यह रंग पसंद नहीं है। 

काले तिल ना अर्पित करे 

ऐसा कहा जाता है काले तिल की उत्पत्ति भगवान विष्णुनारायण के मेल से  हुई है इसलिए शिव जी को काले तिल चढ़ाना वर्जित है। 

शंख से जल चढ़ाना है वर्जित 

शिवरात्रि व्रत की पूजा में शंख से जल नहीं अर्पित करना चाहिए। दरहसल शिवजी ने शंखचूड़ नाम के असुर को मारा था। यह असुर विष्णु जी का परम भक्त कहलाता था। शंख को शंखचूड़ का प्रतीक माना जाता है। इसलिए शिव की पूजा में शंख बजाना भी नहीं चाहिए। 

तुलसी पत्ता

तुलसी के पत्ते का इस्तेमाल शिव की पूजा में नहीं करना चाहिए। क्योंकि तुलसी का जन्म, असुर जलंधर की पत्नी वृंदा के अंश से हुआ।  तुलसी को  भगवान विष्णु ने पत्नी माना था। 

महाशिवरात्रि व्रत कथा – Shivratri Katha in Hindi

शिव पुराण में, चित्रभानु नाम के एक शिकारी की कथा विस्तृत है। बहुत समय पहले की बात है अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए चित्रभानु जंगल में शिकार करता था। उसकी परिस्तिथि अत्यंत गरीब होने के वजह से उसने साहूकार से कर्ज लिया था जिसे वो चूका नहीं पाया। इसलिए अपना कर्ज वसूलने के लिए साहूकार द्वारा चित्रभानु को कैद कर लिया गया। 

महाशिवरात्रि कथा
महाशिवरात्रि की कथा

कैद में रहने के कारण चित्रभानु पूर्ण दिवस भूखा और प्यासा रहा। इसी दौरान उसने भगवान शिव जी का स्मरण किया। साहूकार ने शाम को चित्रभानु को छोड़ दिया ताकि वो पैसो का इंतजाम कर सके। चित्रभानु फिर से जंगल में शिकार के लिए इधर उधर भटकने लगा। शिकार ढूंढ़ते -ढूंढ़ते रात्रि हो गयी परन्तु उसे शिकार नहीं मिला। 

पास में ही उसे बेल का एक वृक्ष दिखा और उस वृक्ष पर वह चढ़ गया, उस वृक्ष के नीचे एक शिवलिंग मौजूद था। 

चित्रभानु द्वारा इस तरह  शिवलिंग पर अर्पित हुआ बेलपत्र

चित्रभानु के वृक्ष पर चढ़ने के कारण कुछ बेलपत्र टूट कर शिवलिंग पर गिर रहे थे। चित्रभानु पूरे दिन भूखा-प्यासा था और रात में अनजाने में शिवलिंग पर बेल पत्र अर्पित कर रहा था। तभी रात्रि के समय एक गर्भवती हिरणी तालाब के पास आई। चित्रभानु उसका शिकार करने ही वाला था की हिरणी से उससे कहा की वो गर्भवती है और बच्चे को जन्म देने वाली है। हिरणी ने यह भी कहा की अपने बच्चे को जन्म देने के पश्चात वो वहा वापिस आ जाएगी तब उसका शिकार कीजियेगा। चित्रभानु ने हिरणी की बाते सुनकर उसे जाने दिया और इस तरह पर्व महाशिवरात्रि का प्रथम प्रहर बीत गया। 

दूसरे प्रहर की पूजा

चित्रभानु वापिस से शिकार की तलाश करने लगा ही था की तब वहां एक दूसरी हिरणी पहुंची । जैसे ही चित्रभानु ने हिरणी को देखा वो शिकार करने के लिए फिरसे तैयार हो गया, किन्तु तभी हिरणी ने चित्रभानु से कहा कि वो अपने पति को ढूंढ रही है। हिरणी ने उससे कहा की उसे जाने दे अपने पति से मिलने के बाद वो शिकार बनने के लिए वापिस आ जाएगी। चित्रभानु ने बिना शिकार किये ही उस हिरणी को भी जाने दिया, और इस तरह शिवरात्रि का आखरी प्रहर भी बीत गया। चित्रभानु के वृक्ष पर होने के वजह से फिरसे पत्ते(बेलपत्र) शिवलिंग पर गिरे जिससे अनजाने में ही सही पर दूसरे प्रहर की पूजा भी हो गयी। 

तीसरी हिरणी को भी किया मुक्त

कुछ समय के पश्चात तीसरी हिरणी वहां आई उसके साथ उसके बच्चे भी थे। फिर से चित्रभानु शिकार के लिए तैयार हो गया किन्तु उतने में हिरणी ने कहा कि उसे जाने दे वह इन बच्चों को उनके पिता के पास छोड़ कर वापस शिकार  बनने के लिए आएगी। इस तरह तीसरी हिरणी के वार्तलाप से चित्रभानु ने उसे भी जाने दिया। और इस तरह भांति चित्रभानु ने रात्रि जागरण किया और पूरा दिन उपवास रखा। 

चौथे हिरण को दिया जीवनदान

गरीब चित्रभानु अपने परिवार और कर्ज को लेकर चिंतन कर रहा था, की वहां से एक हिरण गुजरा। हिरण का शिकार चित्रभानु करता उससे पहले हिरण ने कहा यदि तुमने तीन हिरणी तथा उनके बच्चों को मृत कर दिया है तो तुम मुझे भी मार दो। और यदि तुमने उन्हें नहीं मारा है तो मुझे भी छोड़ दो मैं वादा करता हु अपने पूर्ण परिवार के साथ वापस यहां आ जाऊंगा।

तब चित्रभानु ने हिरण को सारी घटना का विश्लेषण किया तब हिरण ने उसे बताया कि वह तीन हिरणियां उसकी पत्नी थीं और यदि तुमने मुझे मार दिया तो जिन तीन हिरणी को तुमने छोड़ा है वो अपना वचन पूर्ण नहीं कर पाएंगी। मुझ पर विश्वास करो मैं अपने पूर्ण परिवार के साथ जल्दी यहां वापस आऊंगा।

चित्रभानु को मिली शिवलोक की प्राप्ति

चित्रभानु ने हिरण की वार्ता सुनकर उसे वहा से प्रस्थान करने दिया। और इस प्रकार चित्रभानु का ह्रदय परिवर्तन हुआ जिससे उसका मन पावन हो गया। पूर्ण रात्रि चित्रभानु ने भगवान शिव जी की आराधना की थी जिसके चलते भगवान शिव उससे प्रसन्न हो गए थे। कुछ पहर पश्चात हिरण अपने पूर्ण परिवार के साथ चित्रभानु के पास आ गया था। 

जैसे ही चित्रभानु ने हिरण और उसके परिवार को देखा वो  बहुत खुश हुआ। चित्रभानु ने हिरण के पूर्ण परिवार को जीवनदान देने का वचन लिया। इस तरह उसे मुक्ति मिली थी और मरने के पश्चात शिवलोक में जगह मिली थी।

क्या शिवरात्रि और महाशिवरात्रि एक है?

mahashivratri in hindi

Difference between Shivratri and Mahashivratri in Hindi

शिवरात्रि और महाशिवरात्रि के बीच अंतर है। प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि मनाई जाती है। इस तरह प्रत्येक वर्ष 12 शिवरात्रि  मनाई जाती है। सावन महीने में जो चतुर्दशी आती है उस दिन बड़ी शिवरात्रि अर्थात महाशिवरात्रि मनाई जाती है। दोनों का ही अपना विशेष महत्व है। 


आज के लेख में आपने जाना Mahashivratri in Hindi याने महाशिवरात्रि का महत्व आपकी अपनी भाषा हिन्दी में। महाशिवरात्रि पर भोले शंकर की आराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। अब आप भी महाशिवरात्रि से जुडी सभी बाते जान चुके है तो इस महाशिवरात्रि पर भोले को प्रसन्न करके अपनी मनकामनाएं जरूर पूर्ण करे।

FAQs on Mahashivratri in Hindi / कुछ चुनिंदा सवाल

When is Mahashivratri in 2023? २०२३ में महाशिवरात्रि कब है?

Saturday, 18 February. २०२३ में महाशिवरात्रि १८ फरवरी को पड़ रही है

क्या मासिक धर्म के दौरान महाशिवरात्रि में उपवास कर सकते हैं?

यह एक आम सवाल है जो कई मासिक धर्म वाली महिलाओं के मन में आता है। इस प्रश्न का उत्तर वास्तव में एक साधारण हाँ है। लेकिन व्रत रखने के लिए आपको कुछ दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा।
इस दौरान आप व्रत तो रख सकते हैं लेकिन पूजा से दूर रहिएगा।

क्या महाशिवरात्रि के दिन उपवास करना जरूरी है?

ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत करने से पिछले एक साल में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है और भगवान शिव का आशीर्वाद भी मिलता है। जरूरी तो नहीं है लेकिन अगर आपकी श्रद्धा है तो व्रत करने से ही महाशिवरात्रि की पूजा पूर्ण होती है।

महाशिवरात्रि का पर्व क्यों मनाया जाता है?

महाशिवरात्रि का त्योहार शिव और शक्ति के मिलन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन शिव और पार्वती का विवाह पूर्ण हुआ था।

महाशिवरात्रि का क्या महत्व है? Importance of Mahashivratri in Hindi

महाशिवरात्रि एक हिंदू त्योहार है जो भगवान शिव के सम्मान में मनाया जाता है। यह भारत में श्रावण मास के अंतिम दिन मनाया जाता है। इसे “शिव की महान रात” के रूप में भी जाना जाता है और चातुर्मास के अंत का प्रतीक है, जो चार महीने की अवधि है जिसे तीर्थ यात्रा के लिए अशुभ माना जाता है।
यह त्योहार बुराई और अंधकार पर शिव की जीत का जश्न मनाता है। भक्त भगवान शिव की विशेष पूजा करते हैं और इस दिन व्रत रखते हैं। यह त्यौहार एक ऐसे समय को भी चिन्हित करता है जब लोगों को सामान्य से अधिक अपनी आध्यात्मिक प्रथाओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

महाशिवरात्रि शब्द का क्या अर्थ है? What is the meaning of Mahashivratri in Hindi?

महाशिवरात्रि शब्द का अर्थ है “शिव की महान रात”। त्योहार बुराई पर शिव की जीत के साथ-साथ दुनिया में संतुलन बहाल करने में उनकी भूमिका को याद करते हुए मनाया जाता है। यह सर्दियों के अंत और वसंत की शुरुआत का भी प्रतीक है।
यह त्योहार पारंपरिक रीति-रिवाजों और रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है जो एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में भिन्न होते हैं। कुछ लोग कौवे को भोजन देते हैं, जबकि अन्य पूरे दिन उपवास करते हैं या शिव को समर्पित मंदिरों में प्रार्थना करते हैं।

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