कालरात्रि माता की कथा एवं पूजा विधि – Mighty Goddess Kaalratri Story in Hindi (2023)

कालरात्रि माता की कथा एवं पूजा विधि – Mighty Goddess Kaalratri Story in Hindi (2023)

कालरात्रि माता की कथा (Kaalratri story in Hindi) : जानिए माँ दुर्गा की सातवीं शक्ति की पौराणिक कथा, पूजा विधि व बीज मंत्र

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हिंदू पौराणिक कथाओं में, माँ कालरात्रि सबसे पूजनीय देवियों में से एक हैं। वह अपने उग्र और शक्तिशाली रूप के लिए जानी जाती है, और उसके नाम का अर्थ ही “अंधेरी रात” है। पवित्र ग्रंथों के अनुसार, कहा जाता है कि मां कालरात्रि ने ब्रह्मांड को खतरे में डालने वाले राक्षसों और नकारात्मक ऊर्जाओं को नष्ट कर दिया था। इस दिव्य देवी का सम्मान और पूजा करने के लिए, कई लोग पूजा अनुष्ठान करते हैं और माँ कालरात्रि की कहानी कहते हैं, जिसे कालरात्रि माता की कथा भी कहा जाता है।

पूजा विधि एक देवता की पूजा करने की विस्तृत प्रक्रिया है, और यह हिंदू परंपरा का एक महत्वपूर्ण पहलू है। मां कालरात्रि पूजा विधि कोई अपवाद नहीं है, और इसमें प्रसाद को सफल बनाने के लिए सावधानीपूर्वक तैयारी और निष्पादन की आवश्यकता होती है। पूजा आमतौर पर नवरात्रि के दौरान की जाती है, जो देवी दुर्गा के नौ रूपों के सम्मान में मनाया जाने वाला नौ दिनों का त्योहार है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम माँ कालरात्रि के महत्व के बारे में जानेंगे|

नवरात्रि के पवित्र त्यौहार में माँ दुर्गा के पुरे नौ रूपों की पूजा पाठ होती है। इन नौ दिनों में से सातवा दिन माँ कालरात्रि का होता है। इस दिन माँ  दुर्गा के काली रूप की आराधना की जाती है। कहा जाता है की माँ ने असुरों का वध करने के यह स्वरुप लिया था। आप नाम से ही अनुमान लगा सकते है की काल से भी रक्षा करने वाली यह शक्ति है।

कालरात्रि माँ का स्वरुप – साँसों से भी होती है अग्नि प्रवाहित

कालरात्रि माँ का स्वरुप बेहद डरावना एवं भयावय है। इनके बाल खुले हुए है। इनका रंग अंधकार की तरह ही काला है। इनके तीन नेत्र है और यह गले में बिजली की माला पहनी हुई है। कालरात्रि माँ के साँसों से भी अग्नि प्रवाहित होती है। इनकी सवारी गर्दभ हैं।

इनकी मुद्राओ की बात करे तो माँ के ऊपर की तरफ उठे हुए दाए हाथ की वर मुद्रा भक्तों को वरदान देती है। वही दाहिने ही तरफ का नीचे वाला हाथ अभय मुद्रा में है जिसका तात्पर्य है की भक्तों हमेशा निडर और निर्भय रहो। बाईं तरफ के नीचे वाले हाथ में खड्ग है जबकि ऊपर वाले बुझाओ में लोहे का काटा है। इनका रूप सुनने में भले भी भयावह लग रहा हो किन्तु यह माता सदैव शुभ फल देने वाली मां है इसलिए इन्हे शुभंकरी नाम से भी जाना जाता है।

कालरात्रि कथा: इन नामों से भी पुकारी जाती है माँ कालरात्रि

माँ कालरात्रि को काली, महाकाली, भद्रकाली, भैरवी, मिृत्यू, रुद्रानी, चामुंडा, चंडी, रौद्री और धुमोरना देवी के नाम से जाना जाता है।

महाकाली कालरात्रि माता की कथा – माँ ने किया रक्तबीज का वध (Kaalratri story in Hindi)

कुछ पौराणिक कथाओं के अनुसार दानव शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज ने तीनों लोकों में बेहद हाहाकार मचाकर रखा था। इन दैत्यों के निरंकुशता से परेशान होकर सभी देवतागण भगवान शिव जी के पास मदद मांगने गए।

तब भगवान शिव जी ने पार्वती माँ से इन दानवो का वध कर देवताओं और अपने भक्तो की रक्षा करने के लिए कहा। तब माँ पार्वती ने सबकी रक्षा करने हेतु माँ दुर्गा का रूप लिया और शुंभ-निशुंभ जैसे दानवो का वध कर दिया।

किन्तु जैसे ही माँ दुर्गा ने रक्तबीज का वध करने का प्रयास किया, तो उसका रक्त जहा जहा गिरा उस रक्त से लाखों रक्तबीज राक्षस पैदा हो गए। यह देखकर दुर्गा माँ ने अपने तेज से माँ कालरात्रि का अवतार लिया।

फिर माँ काली ने रक्तबीज को मारा और उसके शरीर से निकलने वाले रक्त की हर बूंद को अपने मुख में भर लिया। और इस तरह दानव रक्तबीज का वध हो गया। कहा जाता है नवरात्री के इस दिन मां कालरात्रि की पूजा पाठ करने के साथ व्रत कथा सुनने से बुरी शक्तिया और दानव-दैत्य सब भाग जाते हैं।

माँ कालरात्रि की पूजा विधि व बीज मंत्र

माँ कालरात्रि की पूजा विषेकर रात्रि के समय की जाती है। माता की पूजा करने के लिए लाल रंग के वस्त्र धारण करना चाहिए। पूजा आरम्भ करने से पहले माँ को कुमकुम और रोली लगाए। इसके बाद चमेली, गुड़हल या रात रानी के फूल अर्पित करे।  इसके बाद माँ के समक्ष तेल का दिया जलाये और माँ की आरती गाए। आरती के पश्चात माँ को गुड़ का भोग लगाए। इस प्रसाद को अपने परिवार के सदस्यों तथा अन्य लोगो में बांटे।

आपको जानकारी दे की तांत्रिक लोग मंत्र साधना करने के लिए इस दिन का पुरे वर्ष इंतजार करते है। ऐसी मान्यता है की इस दिन मंत्र सिद्ध होते है इसलिए इसे सिद्धियों की रात भी कहा जाता है।

माँ का बीज मंत्र

क्लीं ऐं श्री कालिकायै नमः।”

कालरात्रि माता की कथा एवं पूजन से भक्तों को मिलने वाले लाभ

  • माँ काली के पूजन से ग्रह बाधाएं दूर होती है।
  • माता की कृपा से हर तरह के भय जैसे जल, अग्नि, शत्रु, जंतु और रात्रि भय ख़त्म हो जाते है।
  • जो भक्त माता की पूजा अर्चना करते है उनके जीवन के सभी संकट दूर हो जाते है।
  • नवरात्री के सातवे दिन मां कालरात्रि की पूजा पाठ करने से सभी पाप धुल जाते है। ।
  • यदि गुरू ग्रह के कारण आपके कैरियर में परेशानिया आ रही है तो काल रात्रि की पूजा जरूर करे।
  • माँ की पूजा अर्चना करने से आपके रास्ते में आने वाली सभी बाधाएं दूर हो जाती है।
  • जो लोग तनाव में रहते है उन्हें माँ काली की पूजा अर्चना करना चाहिए इससे उन्हें लाभ मिलता है।
  • माँ कालरात्रि का स्मरण करने से सभी तरह के संकटों से निजात मिलती है।
  • यदि माँ कालरात्रि की कृपा आप पर हो तो आप पर से बुरी शक्तियों का प्रभाव समाप्त हो जाता है।
  • माँ  शत्रुओं और दुष्टों का संहार करने वाली हैं।
  • माता के उच्चारण मात्र से सारी असुरी शक्तिया दूर भागने लगती है।

कालरात्रि माता की कथा: माँ कालरात्रि को प्रिय है गुड़ का भोग

सप्तमी तिथि के दिन माँ कालरात्रि को पूजा पाठ करने के पश्चात गुड़ का नैवेद्य अर्पित करना चाहिए। इसके पश्चात यह भोग ब्राम्हण को दे देना चाहिए, इससे पुरुष शोक मुक्त हो जाता है। इसके अतिरिक्त इस गुड़ के भोग को प्रसाद के रूप में भी खा सकते है।

शुभंकरी देवी की उपासना से सहस्त्रार चक्र में रहता है साधक का मन

सप्तमी के दिन साधना करने वाले व्यक्ति का मन ‘सहस्त्रार चक्र’ में बना रहता है। साधना करने वाले व्यक्ति के लिए ब्रह्माण्ड की समस्त और असीम सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है। साधक का मन इस दौरान पूर्ण रूप से

माँ कालरात्रि के स्वरुप में बना रहता है। माँ कलिका का साक्षात्कार से मिलने वाले साधक पुण्य का भागी बन जाता है और उसके समस्त पापो का नाश हो जाता है।

 मां कालरात्रि के स्वरुप अपने मन में स्थित करके मनुष्य को एकनिष्ठ भाव से उनका स्मरण करना चाहिए। इस दौरान व्यक्ति का मन, वचन तथा काया पवित्र होनी चाहिए। कालरात्रि माता का अन्य नाम शुभंकरी देवी हैं अर्थात माता की उपासना से होने वाले शुभ चीज़ो की कोई गणना नहीं है।

शनि ग्रह की नियंत्रक है माँ महाकाली

देवी कालरात्रि ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार शनि ग्रह को नियंत्रित करती हैं। माता की पूजा से शनि के बुरे प्रभाव कम हो जाते है।

माता कालरात्रि के फल देने वाले 7 मंत्र

  1. ॐ कालरात्र्यै नम:।’
  1.  ‘ॐ फट् शत्रून साघय घातय ॐ।’
  1.  ‘ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं दुर्गति नाशिन्यै महामायायै स्वाहा।’
  1. ॐ ऐं सर्वाप्रशमनं त्रैलोक्यस्या अखिलेश्वरी।

एवमेव त्वथा कार्यस्मद् वैरिविनाशनम् नमो सें ऐं ॐ।।

  1. ॐ यदि चापि वरो देयस्त्वयास्माकं महेश्वरि।।

संस्मृता संस्मृता त्वं नो हिंसेथाः परमाऽऽपदः ॐ।

  1. ॐ ऐं यश्चमर्त्य: स्तवैरेभि: त्वां स्तोष्यत्यमलानने

तस्य वि‍त्तीर्द्धविभवै: धनदारादि समप्दाम् ऐं ॐ।

  1. एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।

वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥

माँ कालरात्रि का स्वप्न में दिखने का क्या संकेत है?

स्वप्न में काली माता का दर्शन देने का अर्थ ना ही शुभ होता है और ना ही अशुभ। स्‍वप्‍नशास्‍त्र के अनुसार यदि कोई  व्यक्ति सपने में माँ काली को देखता ही तो इसका अर्थ होता है उसे किसी न किसी बात का भय है। ऐसा कहा जाता है  जब आप किसी बात को लेकर परेशान होते है तब देवी के इस रूप के दर्शन प्राप्त होते है।

  1. मस्तिष्क में दबा हुआ डर

यदि कोई व्यक्ति के मस्तिष्क के किसी कोने में किसी बात का डर भरा हुआ है तो यही डर इसे माँ काली के रौद्र रूप का दर्शन करवाता है।

  1. बुरे हालात से लड़ने को तैयार

यदि स्वप्न में कालरात्रि माँ असुरो से लड़ते हुए नजर आती है तो इसका अर्थ होता है की सम्बंधित व्यक्ति उसके जीवन के बुरे हालातो से लड़ने के लिए अब पूरी तरह तैयार है।

  1. आपकी रक्षा करेगी माँ काली

आपके सपनो में देवी माँ का दर्शन देना इस बात का संकेत है की आप अकेले नहीं है। माँ काली आपकी रक्षा करने के लिए आपके साथ है। अब आपको आपके शत्रु या किसी भी कठिन परिस्तिथि से डरने की जरुरत नहीं है।

  1. खोया हुआ आत्मविश्वास मिलेगा

यदि आप हर तरह की परिस्तिथि से हार मान चुके है और इसके बाद माँ काली स्वप्न में आपको दर्शन देती है तो इसका तात्पर्य है की आप अपना खोया हुआ आत्मविश्वास फिर से पाने वाले है। और आने वाला समय आपको अच्छा ही फल देगा। 

कालरात्रि स्तोत्र कवच

कालरात्रि स्तोत्र कवच एक शक्तिशाली मंत्र है जिसका सदियों से हिंदुओं द्वारा पाठ किया जाता रहा है। कहा जाता है कि यह मंत्र नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्रदान करता है और मन में शांति और शांति की भावना पैदा करता है। कालरात्रि स्तोत्र कवच को “मृत्यु की रात” के रूप में भी जाना जाता है और अक्सर नवरात्रि के दौरान सुनाया जाता है, जो हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला नौ दिवसीय त्योहार है। माना जाता है कि यह मंत्र लोगों को डर और चिंता से उबरने में मदद करता है और उन्हें अपने रास्ते में आने वाली किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए आवश्यक साहस प्रदान करता है।

कालरात्रि स्तोत्र कवच शक्तिशाली शब्दों और ध्वनियों का एक संयोजन है जो इसका पाठ करने वाले व्यक्ति के चारों ओर सुरक्षा का कवच बनाने के लिए है। यह मंत्र बुरी आत्माओं, नकारात्मक ऊर्जा और काले जादू को दूर भगाने के लिए कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि कालरात्रि स्तोत्र कवच व्यक्तियों को शारीरिक और मानसिक बीमारियों से उबरने और उनके समग्र कल्याण में सुधार करने में मदद करता है।

कालरात्रि स्तोत्र कवच

ॐ क्लींमें हदयंपातुपादौश्रींकालरात्रि।

ललाटेसततंपातुदुष्टग्रहनिवारिणी॥

रसनांपातुकौमारी भैरवी चक्षुणोर्मम

कहौपृष्ठेमहेशानीकर्णोशंकरभामिनी।

वíजतानितुस्थानाभियानिचकवचेनहि।

तानिसर्वाणिमें देवी सततंपातुस्तम्भिनी॥

सप्तमी के दिन गाये जाने वाली श्री महाकाली की आरती

मंगल’ की सेवा, सुन मेरी देवा, हाथ जोड़ तेरे द्वार खड़े।

पान सुपारी, ध्वजा, नारियल,ले ज्वाला तेरी भेंट धरे॥

मंगल की सेवा सुन मेरी देवा।

सुन जगदम्बे, कर न विलम्बे, संतन के भण्डार भरे।

संतन-प्रतिपाली, सदा खुशहाली,मैया जै काली कल्याण करे॥

मंगल की सेवा सुन मेरी देवा।

बुद्धि विधाता, तू जग माता,मेरा कारज सिद्ध करे।

चरण कमल का लिया आसरा,शरण तुम्हारी आन परे॥

मंगल की सेवा सुन मेरी देवा।

जब-जब भीर पड़ी भक्तन पर,तब-तब आय सहाय करे।

बार-बार तैं सब जग मोहयो,तरुणी रूप अनूप धरे॥

मंगल की सेवा सुन मेरी देवा।

माता होकर पुत्र खिलावे, कहीं भार्या भोग करे।,

सन्तन सुखदाई सदा सहाई,सन्त खड़े जयकार करे॥

मंगल की सेवा सुन मेरी देवा।

ब्रह्मा विष्णु महेश सहसफण लिए,भेंट देन तेरे द्वार खड़े।

अटल सिहांसन बैठी मेरी माता,सिर सोने का छत्र फिरे॥

मंगल की सेवा सुन मेरी देवा।

वार शनिश्चर कुंकुम बरणो, जब लुँकड़ पर हुकुम करे।

खड्ग खप्पर त्रिशुल हाथ लिए, रक्त बीज को भस्म करे॥

मंगल की सेवा सुन मेरी देवा।

शुंभ निशुंभ को क्षण में मारे, महिषासुर को पकड़ दले।

आदित’ वारी आदि भवानी, जन अपने का कष्ट हरे॥

मंगल की सेवा सुन मेरी देवा।

कुपित होय दानव मारे, चण्ड मुण्ड सब चूर करे।

जब तुम देखी दया रूप हो, पल में संकट दूर करे॥

मंगल की सेवा सुन मेरी देवा।

सौम्य स्वभाव धरयो मेरी माता, जन की अर्ज कबूल करे।

सात बार की महिमा बरनी, सब गुण कौन बखान करे॥

मंगल की सेवा सुन मेरी देवा।

सिंह पीठ पर चढ़ी भवानी, अटल भवन में राज करे।

दर्शन पावें मंगल गावें, सिद्ध साधक तेरी भेंट धरे॥

मंगल की सेवा सुन मेरी देवा।

ब्रह्मा वेद पढ़े तेरे द्वारे, शिव शंकर ध्यान धरे।

इन्द्र कृष्ण तेरी करे आरती, चँवर कुबेर डुलाय रहे॥

मंगल की सेवा सुन मेरी देवा।

जय जननी जय मातु भवानी, अटल भवन में राज करे।

संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली, मैया जय काली कल्याण करे॥

मंगल की सेवा सुन मेरी देवा।

मां कालरात्रि का औषधि रूप – हर विष का होता है नाश

आपको जानकारी देना चाहते है की नवदुर्गा माता के नौ रूप औषधियों अर्थात मेडिसिन की भी तरह कार्य करते हैं। इसलिए नवरात्रि को सेहत नवरात्रि भी कहा  जाता है। इस लेख में हम नौ दुर्गा की सातवीं देवी कालरात्रि माँ के औषधीय स्वरूप की जानकारी देंगे।

माँ काली नागदौन औषधि के रूप में जानी जाती है। यह औषधि हर प्रकार के रोगों की नाशक है। यह मस्तिष्क सम्बन्धी विकारो को भी दूर करती है। इसलिए हर पीड़ित व्यक्ति को माँ आराधना करनी चाहिए।

आपको जानकारी दे की नागदौन का पौधा ग्वारपाठे के पौधे के समान होता हैं। जिस प्रकार ग्वारपाठे के पत्ते दिखने में धारधार, चिकने और मोटे होते है वही नागदौन के पत्ते आकार में सूखे, पतले और तलवार के जैसे दोनों ओर से धार वाले होते है। साथ ही यह बिच में से मुड़े हुए भी होते है। यदि व्यक्ति इस पौधे को अपने घर में  लगाले तो व्यक्ति के सारे कष्ट समाप्त हो जायेंगे।

FAQ

कालरात्रि माता कौन हैं? Who is Kaalratri?

कालरात्रि माता एक हिंदू देवी हैं और देवी दुर्गा के रूपों में से एक हैं। भारत में नवरात्रि उत्सव के दौरान उनकी पूजा की जाती है। कालरात्रि को अंधकार और अज्ञान का नाश करने वाली माना जाता है और यह निडरता और साहस से जुड़ी है।

कालरात्रि का अर्थ क्या है?

कालरात्रि एक संस्कृत शब्द है जो हिंदू देवी दुर्गा के सातवें रूप को संदर्भित करता है। ऐसा माना जाता है कि यह प्रकृति के अंधेरे और हिंसक पहलुओं का प्रतिनिधित्व करता है और संरक्षण और विनाश से जुड़ा हुआ है। कालरात्रि नाम दो शब्दों से लिया गया है: “काल” का अर्थ है समय या मृत्यु, और “रात्रि” का अर्थ है रात। इस प्रकार, कालरात्रि को अक्सर “मृत्यु की रात” या “अंधेरी रात” के रूप में अनुवादित किया जाता है।

माँ कालरात्रि का भोग क्या है?

कालरात्रि का भोग उनकी पूजा और भक्ति है, जो भक्तों को सुरक्षा, शक्ति और आशीर्वाद देने वाली मानी जाती है। कुछ लोग नवरात्रि उत्सव के सांस्कृतिक और पारंपरिक पहलुओं का भी आनंद लेते हैं, जैसे कि सजना-संवरना, गरबा और डांडिया नृत्य करना और सामुदायिक कार्यक्रमों में भाग लेना।

माँ कालरात्रि की उत्पत्ति कैसे हुई?

मां कालरात्रि एक हिंदू देवी हैं, जिनके बारे में माना जाता है कि उनकी उत्पत्ति देवी दुर्गा के तीसरे नेत्र से हुई थी। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब राक्षस रक्तबीज अराजकता और विनाश कर रहा था, तो सभी देवता मदद के लिए देवी दुर्गा के पास गए। फिर उन्होंने राक्षस से लड़ने के लिए अपनी तीसरी आंख से मां कालरात्रि को बनाया। मां कालरात्रि को अंधकार और अज्ञान का नाश करने वाला भी कहा जाता है।

मां काली और कालरात्रि में क्या अंतर है?

माँ काली और कालरात्रि दोनों ही देवी दुर्गा के रूप हैं, लेकिन उनकी अलग-अलग विशेषताएं और प्रतीक हैं। मां काली देवी के उग्र और शक्तिशाली पहलू का प्रतिनिधित्व करती हैं, जबकि कालरात्रि अंधेरे और विनाशकारी पहलू का प्रतिनिधित्व करती हैं।

माँ काली को अक्सर काले या गहरे नीले रंग की त्वचा और कई भुजाओं वाले हथियार और कटे हुए सिर के साथ चित्रित किया जाता है। वह निर्माण, विनाश और परिवर्तन से जुड़ी है। उन्हें बुराई को नष्ट करने और अपने भक्तों की रक्षा करने की क्षमता के लिए पूजा जाता है।

दूसरी ओर, कालरात्रि को जंगली बालों, खोपड़ियों का हार, और चार भुजाओं में एक तलवार, एक त्रिशूल, एक फंदा और एक मशाल के साथ चित्रित किया गया है। वह समय, मृत्यु और के साथ जुड़ा हुआ है

उपरोक्त लेख में हमने आपको माँ कालरात्रि से सम्बंधित सारी जानकारी दी है जैसे माँ की कथा, माँ की पूजा विधि, माँ के श्लोक व आरती। यदि आप चाहते है की माँ की कृपा आप पर भी बने रहे तो इन जानकारियों द्वारा सच्चे मन से माँ का पूजा पाठ करे।

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