Brahma Kamal Flower in Hindi – ब्रह्म कमल के फूल का धार्मिक महत्व (2023)
Contents
- 1 Brahma Kamal Flower in Hindi – ब्रह्म कमल के फूल का धार्मिक महत्व (2023)
- 2 Brahma Kamal Flower in Hindi: क्यों है यह फूल बेहद खास
- 3 ब्रह्म कमल की धार्मिक एवं पौराणिक मान्यता
- 4 ब्रह्म कमल किस देवता को चढ़ाया जाता है?
- 5 ब्रह्म कमल के फूल के औषधीय गुण (Medicinal properties of Brahma Kamal flower in Hindi)
- 5.1 ब्रह्म कमल के फूल के एंटीसेप्टिक गुण (Antiseptic properties of Brahma Kamal flower in Hindi)
- 5.2 नर्वस डिसऑर्डर के इलाज में सहायक है ब्रह्म कमल का फूल – Brahma Kamal helps in neural disorders
- 5.3 ब्रह्म कमल के फूल से सर्दी और खांसी में मिलता है फायदा – Brahma Kamal helps in cough and cold
- 5.4 ब्रह्म कमल के फूल के काढ़े से होता है बुखार ठीक – Brahma Kamal flower helps in reducing fever
- 5.5 ब्रह्म कमल फूल के अन्य औषधीय लाभ – Other medicinal properties of Brahma Kamal flower in Hindi
- 6 ब्रह्म कमल (उत्तराखंड का देव पुष्प) कहां पाया जाता है – Where is Brahma Kamal flower found
- 7 किस तरह लगाए ब्रह्म कमल के फूल का पौधा
- 8 FAQ
- 8.1 ब्रह्म कमल (Brahma Kamal flower) किस राज्य का राजकीय पुष्प माना जाता है?
- 8.2 ब्रह्म कमल का फूल एक वर्ष में कितनी बार खिलता है?
- 8.3 ब्रह्म कमल पुष्प का वानस्पतिक नाम (बोटानिकल नेम) क्या है?
- 8.4 ब्रह्म कमल का फूल किस देवता को प्रिय है?
- 8.5 ब्रह्म कमल के फूल को अंग्रेजी में क्या कहते हैं?
- 8.6 ब्रह्म कमल के फूल की उत्पत्ति कैसे हुई?
- 8.7 ब्रह्म कमल के फूल की पूजा में स्थान क्या है?
- 9 Brahma Kamal flower in Hindi से मिलती जुलती हमारी अन्य पोस्ट्स
ब्रह्म कमल एक बेहद ही सुन्दर और अद्भुत फूल है। ब्रह्म कमल के फूल साल भर में केवल एक बार ही खिलते है। इनके खिलने का समय अगस्त या सितंबर होता है पर कई बार इसे अक्टूबर के महीने में भी खिलता देखा गया है। यह एक दिव्य फूल है, माना जाता है की यह ब्रम्हदेव को बहुत प्रिय है।
इस फूल का अंग्रेजी नाम सोसेरिया ओबोवेलाटा है। इसके अतिरिक्त इस फूल को कई नामो से पुकारा जाता है जैसे कश्मीर में इसे गलगल कहा जाता है जबकि हिमाचल में इसे दूधाफूल और उत्तर-पश्चिमी भारत में इसे बरगनडटोगेस कहा जाता है। यह फूल कमल के फूल की ही प्रजाति है, जो की मुख्य तौर पर हिमालय, हिमाचल और उत्तराखंड में पाई जाती है। आज के इस लेख में हम आपको विस्तार पूर्वक ब्रह्म कमल के फूल (Brahma Kamal Flower in Hindi) की जानकारी देंगे।
Brahma Kamal Flower in Hindi: क्यों है यह फूल बेहद खास
ब्रह्म कमल का फूल अत्यंत सुंदर एवं मादक सुगंध वाला पुष्प है। इसे हिमालयी फूलों का सम्राट भी कहते है। यह फूल अर्ध रात्रि के पश्चात खिलता है इसलिए ही इसे खिलते देखना हर किसी के लिए स्वपन समान है।
हिंदू धर्म के अनुसार यह फूल ब्रह्म देव को बेहद प्रिय है। आपने देखा होगा ब्रह्म देवता अक्सर कमल के फूल पर विराजमान रहते हैं। कहा जाता है की यही फूल उनका आसन है। यदि आपने रामायण या महाभारत पढ़ी होगी तो उसमे भी इस कमल के फूल का जिक्र है। रामायण में जब लक्ष्मण बेहोश हो गए थे तो उनके इलाज के लिए देवताओ ने स्वर्ग से ब्रह्म कमल के फूल बरसाए थे।
कब खिलता है हिमालयी फूलों का राजा ब्रह्म कमल
ब्रह्म कमल अपनी विशेषताओं के चलते दुनिया भर में प्रसिद्ध है और लोग इसे देखने के लिए भी तरसते हैं। यह देर शाम को खिलना शुरू होता है, इसे खिलने में दो घंटे का समय लगता है। आधी रात होने के बाद यह अपने आप बंद हो जाता है। सुबह के वक्त यह मुरझा हुआ मिलता है। इसे देखने का अच्छा समय रात को 10 बजे से 12 बजे तक है।
ब्रह्म कमल की धार्मिक एवं पौराणिक मान्यता
ब्रह्म कमल कथा 1 – विष्णु भगवान ने पुष्प के रूप में समर्पित की अपनी आँख
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ब्रह्मकमल का फूल देवो के देव महादेव को बहुत ही प्रिय है। आपको जानकारी दे की केदारनाथ तथा बद्रीनाथ के मंदिरों में शिव जी को ब्रह्म कमल ही चढ़ाए जाते हैं। कहा जाता है की जब विष्णु भगवान हिमालय के क्षेत्र में भ्रमण करने आये थे तब उन्होंने शिव जी को 1000 ब्रह्म कमल के पुष्प अर्पित किये थे। किन्तु इसमें से एक पुष्प कम हो जाने के कारण विष्णु भगवान जी द्वारा अपनी एक आँख भोलेनाथ भगवान को समर्पित कर दी गयी थी। और तब से ही विष्णु भगवान को कमल नयन और शिव जी को कमलेश्वर नाम से पुकारा जाने लगा। इसलिए मान्यता है की केदारनाथ में ब्रह्म कमल चढाने पर शिवजी प्रसन्न होते है और भक्त की मनोकामनाओ को पूरा करते है।
ब्रह्म कमल कथा 2 – भीम को हुआ था अपनी भूल का अहसास
ब्रह्मकमल का इतिहास महाभारत में भी लिखा हुआ है। उसमे लिखित है कि इस पुष्प को प्राप्त करने के लिए द्रौपदी व्याकुल हो गई थी। इसलिए इसे लेने हेतु भीम हिमालय की वादियों में गए थे। यहाँ जाने के पश्चात उनका सामना पवन पुत्र हनुमानजी से हुआ था।
भीम ने सोचा था वह एक वानर है और उनसे उनकी पूंछ हटाने को कहा था। किन्तु इस पर हनुमानजी ने कहा था कि तुम शक्तिशाली तो प्रतीत होते हो यह पूंछ तुम ही हटा लो। किन्तु भीम ऐसा नहीं कर पाए और तभी उन्हें समझ आया था कि ये तो साक्षात प्रभु हनुमानजी हैं और फिर भीम को अपनी भूल का अहसास हुआ था।
ब्रह्म कमल (सोसेरिया ओबोवेलाटा) का धार्मिक महत्व
यह कमल पवित्रता का प्रतीक है। मान्यताओं के अनुसार यह फूल मां नंदा का प्रिय पुष्प है। यही वजह है की इसे नंदा अष्टमी में ही तोड़ा जाता है। ब्रह्मकमल का अर्थ ही है ब्रह्मा का कमल। वो लोग भाग्यशाली होते है जो इस फूल को खिलते हुए देख पाते हैं। ऐसा माना जाता है जो व्यक्ति इसे खिलते हुए देख लेता है उसे सुख तथा संपत्ति की प्राप्ति होती है।
ब्रह्म कमल के फूल को भारत में देखा जा सकता है, जहां इसे बृहस्पति कहा जाता है। कभी-कभी ब्रह्म कमल हिंदू भगवान विष्णु से जुड़ा होता है। बीज की फली सांप के काटने पर ताबीज का काम करती है। ब्रह्म कमल तांत्रिक जादू और अनुष्ठान में उपयोग किए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण फूलों में से एक है। नेपाल में, फूल को “नागार्जुन” के रूप में जाना जाता है और आध्यात्मिक जागृति का प्रतीक है। नेपाल में महामस्तकाभिषेक के दौरान, वे फूल लेते हैं और इसे स्वयंभूनाथ मंदिर में एक विशेष पत्थर पर फेंक देते हैं।
ब्रह्म कमल का फूल का बृहस्पति रूप – Brihaspati and Brahma Kamal Flower in Hindi
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, भारत में, इस फूल की छवियों को पत्थर के खंभों में उकेरा गया है ताकि एक पैदल रास्ता बनाया जा सके। हिंदू धर्म धर्म में फूल को आत्म ज्ञान और देवत्व का प्रतीक माना जाता है। संस्कृत साहित्य में “बृहस्पति” के कई प्रकार हैं। बुद्धि के अवतार के रूप में बृहस्पति किसी विशेष समूह या लोगों की जाति तक सीमित नहीं है; यह विविध धर्मों और पृष्ठभूमियों सहित सभी संस्कृतियों को समाहित करता है। यह विशेषण भृगु मुनि का भी उल्लेख कर सकता है, जो ऋषियों (ऋषियों) के पिता थे।
बृहस्पतिऔर बुध को अक्सर ब्रह्म कमल के फूल के साथ चित्रित किया जाता है। ब्रह्म कमल विभिन्न संस्कृतियों के लिए कई अर्थों वाला एक पवित्र पौधा है। उदाहरण के लिए, हिंदू धर्म का दृष्टिकोण यह है कि फूल आत्मज्ञान और आंतरिक देवत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि नेपाल में कुछ लोग इसे एक पवित्र पौधे के रूप में देखते हैं जो आध्यात्मिक जागृति का प्रतीक है। संस्कृत साहित्य में “बृहस्पति” के कई रूप हैं। ज्ञान के अवतार के रूप में बृहस्पति किसी विशेष समूह या जाति तक सीमित नहीं है
ब्रह्म कमल किस देवता को चढ़ाया जाता है?
ब्रह्म कमल का फूल भगवान शिव को चढ़ाया जाता है। इस पवित्र फूल को बद्रीनाथ में भगवान विष्णु को भी चढ़ाते हैं।
ब्रह्म कमल सृष्टि का प्रतीक है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इसे स्वयं भगवान ब्रह्मा ने बनाया है। कमल को जीवन का प्रतिनिधित्व माना जाता है, क्योंकि इसे पुनर्जन्म और आध्यात्मिक विकास के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। कमल का प्रतीक पवित्रता और आत्मज्ञान से भी जुड़ा हुआ है, क्योंकि फूल कीचड़ भरे पानी में भी खिलता है।
ब्रह्म कमल के फूल के औषधीय गुण (Medicinal properties of Brahma Kamal flower in Hindi)
ब्रह्म कमल का फूल कई औषधीय गुणों से भरपूर होता है। ब्रह्म कमल फूल के कई औषधीय उपयोग भी होते हैं। इसकी पंखुडिय़ों से निकला हुआ जल अमृत समान माना जाता है:-
ब्रह्म कमल के फूल के एंटीसेप्टिक गुण (Antiseptic properties of Brahma Kamal flower in Hindi)
ब्रह्म कमल एंटीसेप्टिक गुणों से भरपूर होता है जिसके चलते चोटों के घाव भरने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। कुछ अध्ययनों के अनुसार जब इसे घावों पर लगाया जाता है, तब इसका फूल घाव पर चिपक कर उस घाव को सील कर देता है, जिससे की रक्तस्राव बंद हो जाता है और घाव जल्दी ठीक हो जाता है।
नर्वस डिसऑर्डर के इलाज में सहायक है ब्रह्म कमल का फूल – Brahma Kamal helps in neural disorders
यह पुष्प नर्वस डिसऑर्डर अर्थात तंत्रिका विकारों का इलाज करने में भी बेहद असरकारी है। दरहसल इस पुष्प में एसिटिन नामक एक फ्लेवोन मौजूद होता है जो की एक प्राकृतिक एंटी कॉन्वेलसेंट है। इसके अतिरिक्त इस पुष्प में कई प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जैसे ग्लाइकोसाइड्स, एल्कलॉइड, टरपेनोइड्स, फ्लेवोनोइड्स और सैपोनिन्स, यह सभी तंत्रिका तंत्र को अच्छा बनाये रखने में मददगार है।
ब्रह्म कमल के फूल से सर्दी और खांसी में मिलता है फायदा – Brahma Kamal helps in cough and cold
ब्रह्म कमल पौधे के फूल ही नहीं पत्ते भी बेहद लाभदायक होते है। इससे खांसी और सर्दी की समस्या में फायदा मिलता है। इसमें मौजूद एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटी माइक्रोबियल गुण श्वसन मार्ग में होने वाली स्वेलिंग को ठीक करते है। इसलिए इससे सर्दी खांसी का इलाज होता है।
ब्रह्म कमल के फूल के काढ़े से होता है बुखार ठीक – Brahma Kamal flower helps in reducing fever
कुछ अध्यनो के मुताबिक ब्रह्म कमल का फूल बुखार को ठीक करने की एक पारंपिक औषधि है। इसका काढ़ा बनाकर दिन में दो बार सेवन करने से बुखार में राहत मिलती है। इसमें मौजूद ज्वरनाशक गुण बुखार ठीक करने में मदद मिलती है।
ब्रह्म कमल फूल के अन्य औषधीय लाभ – Other medicinal properties of Brahma Kamal flower in Hindi
- इसके फूलो को सुखाकर कैंसर की दवा के रूप में प्रयोग किया जाता है।
- इसके औषधीय गुणों से पुरानी खासी में आराम मिलता है।
- हड्डी के दर्द में भी इसका प्रयोग किया जाता है।
- इस फूल से निकलने वाले जल को पिने से थकान मिट जाती है।
- इनके अलावा जले- कटे में, जननांगों की बीमारी में, यौन रोग तथा लिवर संक्रमण के इलाज में भी इसका प्रयोग किया जाता है।
- यह फूल सेक्सुअल हेल्थ अर्थात यौन स्वास्थ्य को भी मेंटेन करने में सहायक है।
- यह पुष्प श्वसन समस्याओं जैसे ब्रोंकाइटिस और अस्थमा के इलाज में भी सहायक है।
- हालाँकि इन चिकित्सीय प्रयोगो की कोई वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हुई है परन्तु आयुर्वेद में इसका काफी नाम है और स्थानीय तौर पर यह काफी प्रचलित है।
ब्रह्म कमल (उत्तराखंड का देव पुष्प) कहां पाया जाता है – Where is Brahma Kamal flower found
ब्रह्म कमल फूल एक दुर्लभ, सुंदर फूल है जो उत्तराखंड में उगता है। यह हर 12 साल में केवल एक बार खिलता है और इसे हिमालय के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। ब्रह्म कमल का फूल व्यापक रूप से हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाता है और उनकी पवित्रता पुराणों और वेदों के समय से चली आ रही है।
वनस्पति विज्ञान के अनुसार ब्रह्म कमल अन्य कमल की प्रजातियों की भांति पानी में नहीं अपितु जमीन पर खिलता है। यह पुष्प जुलाई से सितंबर तक तीन महीने केवल रात्रि के समय खिलता है। मुख्य तौर पर यह पुष्प हेमकुंड, केदारनाथ, ब्रजगंगा, रूपकुंड, उत्तराखंड, अरूणाचल प्रदेश, हिमाचल, सिक्किम और फूलों की घाटी में पाया जाता है।
धार्मिक दृष्टि के अनुसार यह पुष्प बहुत पवित्र है। इसे देवी देवताओ पर अर्पण किया जाता है। उत्तराखंड के पुरुष इन्हे दूर दूर से इखट्टा करते है और फिर तीर्थ यात्रियों को बेचते है।
ब्रह्म कमल (Queen of the Night) को तोड़ने के नियम- How to break Brahma Kamal flower in Hindi
ब्रह्म कमल का पुष्प मानसून के मध्य के महीनों में खिलता है। इसे क्वीन ऑफ़ दी नाईट (Queen of the Night) भी कहा जाता है। यह पुष्प मां नंदा का प्रिय पुष्प है। इसलिए इस फूल को नंदा अष्टमी के दौरान तोड़ा जाता है। इस पुष्प को तोड़ने के भी कुछ सख्त नियम होते हैं जिनका पालन करना अनिवार्य होता है।
किस तरह लगाए ब्रह्म कमल के फूल का पौधा
- इसका पौधा लगाना काफी आसान है। इसके लिए आपको केवल इसकी एक पत्ती लेनी पड़ती है।
- सबसे पहले आपको इसे उगाने के लिए मिट्टो तैयार करनी है। मिटटी तैयार करने के लिए पचास परसेंट सामान्य मिटटी और 50 परसेंट गोबर की खाद ले।
- अब इस मिटटी को मिलाकर गमले में डाल दे।
- ध्यान रखे आपको गमले को ऐसी जगह रखना होगा, जहा सूर्य की किरणे इस पर सीधी न पढ़े।
- अब ह्म कमल की पत्ती को गमले में कम से कम तीन से चार इंच की गहराई में लगाए।
- अब गमले में अच्छी मात्रा में जल डाल दे।
- एक महीने के पश्चात इसकी पत्ती से जड़े निकलना आरम्भ हो जाएँगी।
- अब जब पौधा बड़ा हो जायेगा तो इसको कम मात्रा में पानी दे जितने से सिर्फ नमी बने रहे।
- आपको जानकारी दे की ब्रह्म कमल को खिलने के लिए ज्यादा गर्मी नहीं चाहिए होती है यह ठन्डे स्थान पर अच्छी तरह से बढ़ा होता है।
कैसे करें ब्रह्मकमल पौधे की देखभाल
यदि आपने ब्रह्मकमल के पौधे को अपने घर पर लगाया है तो इसके देखभाल के यह तरीके जान ले:-
- इसके पौधे को धूप में नहीं रखना चाहिए, इसे ठन्डे वातावण की जरुरत होती है।
- इसे आप शेड के नीचे रखे ताकि इसे हल्की धूप मिले, ज्यादा धूप में इसके पत्ते पिले पड़ जाते है।
- बरसात के दिनों में इसमें फंगस ना लगे इसके लिए हल्दी का पानी इसमें डाले, या फिर आप बाजार से कोई ऐंटी फंगस पाउडर भी ले सकते है।
- ब्रह्मकमल के पौधे में अधिक पानी ना डालें इसे ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती है।
- पौधे को पोषक तत्व मिलते रहे इसके लिए हर दो महीने में इसकी मिट्टी में खाद डाले।
ब्रह्म कमल के दर्शन से होती है हर कामना पूरी
यह फूल चमकते सितारे के आकार की तरह दीखता है। इसकी सुगंध तेज होती है। ऐसा कहा जाता है जो व्यक्ति इस पुष्प को खिलते हुए देखता है उसके जीवन में सुख तथा समृद्धि का आगमन हो जाता है। इसे खिलते हुए देखने पर जो भी प्रार्थना करो वो पूर्ण हो जाती है।
इस फूल को देवताओ के आशीर्वाद के सामान माना जाता है तथा इस पुष्प की भी पूजा अर्चना की जाती है। जब यह खिलता है तो इसमें ब्रम्हा देव तथा त्रिशूल की उभरी हुई आकृति दिखाई पड़ती है। यह एकमात्र ही ऐसा कमल का फूल है जो रात्रि के समय खिलता है और भौर के समय मुरझा जाता है।
जहां पेड़-पौधों का अस्तित्व खत्म होता है वहाँ खिलता है यह ब्रह्म कमल का फूल
वनस्पति शास्त्री का कहना है कि आजकल धार्मिक मान्यताओं वाले ब्रह्म कमल के जगह लोग नकली ब्रह्म कमल जो कि एक तरह का केक्टस का फूल है उसे असली समझ रहे हैं। वे इस फूल को ब्रह्म कमल समझ कर इसकी पूजा कर रहे हैं । वनस्पति शास्त्री के अनुसार असली ब्रह्मकमल केवल 3000 से 5000 मीटर की ऊंचाई पर उगते हैं। यह काफी कम तापमान में पाए जाते हैं और ऐसी जगह उगतेहैं जहां अन्य पेड़ो का अस्तित्व खत्म हो जाता है। इस पुष्प की भारत में लगभग 61 प्रजातियां है जिसमे हिमालय के इलाकों में ही 58 हैं।
FAQ
FAQ on Brahma Kamal flower in Hindi – ब्रह्म कमल के फूल पर कुछ सवाल जवाब
ब्रह्म कमल (Brahma Kamal flower) किस राज्य का राजकीय पुष्प माना जाता है?
ब्रह्म कमल उत्तराखंड का राजकीय पुष्प माना जाता है।
ब्रह्म कमल का फूल एक वर्ष में कितनी बार खिलता है?
ब्रह्म कमल का फूल वर्ष में एक बार रात के समय खिलता है। वेदो में भी इस पुष्प का उल्लेख किया गया है।
ब्रह्म कमल पुष्प का वानस्पतिक नाम (बोटानिकल नेम) क्या है?
ब्रह्म कमल के फूल का वानस्पतिक नाम सौसुरिया ओबव्ल्लाटा (Saussurea obvallata) है।
ब्रह्म कमल का फूल किस देवता को प्रिय है?
पौराणिक मान्यता के अनुसार ब्रह्मकमल का फूल भगवान शिव को अर्पित किया जाता है।
ब्रह्म कमल के फूल को अंग्रेजी में क्या कहते हैं?
ब्रह्म कमल के फूल को अंग्रेजी में Night blooming Cereus अर्थात रातों की रानी कहते हैं
ब्रह्म कमल के फूल की उत्पत्ति कैसे हुई?
ऐसा माना जाता है कि ब्रह्म कमल के फूल की उत्पत्ति भगवान ब्रह्मा के बालों से हुई है।
ब्रह्म कमल के फूल की पूजा में स्थान क्या है?
ब्रह्म कमल के फूल और भगवान शिव से जुड़ी कई मान्यताएं हैं। और इन्हीं में से एक यह है कि अगर आप ब्रह्म कमल के फूलों को भगवान को अर्पित करते हैं तो वह तुरंत प्रसन्न हो जाते हैं।
Brahma Kamal flower in Hindi से मिलती जुलती हमारी अन्य पोस्ट्स
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