Hariyali Teej Story in Hindi – इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको तीज माता की कथा और हरियाली तीज की कथा बताएँगे। हरियाली तीज को हरितालिका तीज के नाम से भी जाना जाता है। हम आपको भारत में मनाए जाने वाले बाक़ी तीज के बारे में भी बताएँगे। पढ़ते रहिए।
हरियाली तीज हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। एक तरफ तो यह पति पत्नी के बीच के प्रेम, सहयोग और आदर को दर्शाता है वहीँ दूसरी तरफ यह भारत की अनेकता में मौजूद एकता को भी धार देता है।
यह दोनों बातेँ इसलिए क्योंकि एक तरफ तो एक पत्नी अपने पति के जीवन के लिए इतने मुश्किल व्रत को रखती है वहीँ दूसरी तरफ यह व्रत, तीज का त्योहार पूरे भारत में अलग अलग नामों से मनाया जाता है जो कि अपने आप में एकता में अनेकता का प्रतीक है। तीज का त्योहार एक तरह से प्रकृति का भी उत्सव है। चारों तरफ हरियाली और सावन का सुहाना मौसम देने के लिए जैसे इंसान प्रकृति का धन्यवाद कह रहे हों।
चलिए फिर हम इस पोस्ट के टाइटल Hariyali Teej Story in Hindi को चरितार्थ करते हुए आपको बताते हैं तीज की कहानी। इस दौरान हम आपको बाक़ी तीज के बारे में भी जानकारी देने का प्रयास करेंगे।
कब मनाया जाता है तीज का त्योहार? (When is Teej Celebrated?)
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तीज को हमेशा सावन मास के शुक्ल पक्ष के तीसरे दिन यानी कि तृतीय दिवस को मनाया जाता है। साल 2023 में तीज 19 अगस्त को पड़ रही है। जैसा कि आप जानते ही हैं तीज का त्योहार सावन में मनाया जाता है इसलिए आपको यह अंदाजा तो लग ही गया होगा कि यह त्योहार भगवान शिव से संबंधित है। आइए जानते हैं तीज से जुड़ी पौराणिक कहानी और तीज माता की व्रत कथा।
हरियाली तीज की कथा (Hariyali Teej Story in Hindi)
बहुत पुराने समय की बात है। भगवान शिव और माता पार्वती, माता पार्वती के पूर्व जन्म की बात कर रहे थे, तभी भगवान शिव ने उन्हें उनके पिछले जन्म के बारे में याद दिलाने के लिए उन्हें एक कथा सुनाई, जो कि इस पर आधारित थी कि किस तरह माता पार्वती ने कठिन परिश्रम से भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया।
कथा तब शुरू होती है जब माता पार्वती एक बालिका थीं। वह हिमालय पर गंगा नदी के किनारे रहा करती थीं और वहीँ तपस्या किया करती थीं। वहाँ उन्होंने अन्न और जल त्याग दिया था और उसकी बजाय वह सूखे पत्ते खाया करती थी।
चाहे माघ की जमा देने वाली सर्दियाँ हों या ज्येष्ठ की गला देने वाली ग्रीष्म हो, माता पार्वती अडिग रहकर तपस्या करती रहती थीं। इस बात से उनके पिता खासे परेशान रहते थे। वह चाहते थे उनकी पुत्री खुश रहे और एक आलीशान जीवन व्यतित करे। उनके पिता की परेशानी और माता पार्वती के तप को देखते हुए एक दिन वहाँ नारद जी पहुंचे।
नारद जी ने माता पार्वती के पिता से बात की और उनका विवाह भगवान विष्णु जी के साथ तय कर दिया। नारद जी ने विष्णु जी को भी यह बात बताई, और विष्णु जी जो कि यह सब लीला भली भांति जानते थे, उन्होंने बिना किसी विरोध इसे स्वीकार कर लिया।
जब यह सब घटना माता पार्वती को पता चली तो वह बुरी तरह से विचलित हो गईं। उन्होंने अपनी यह समस्या अपनी एक सखी को बताई और उस सखी ने कहा कि अब यही बेहतर होगा कि तुम अपने जीवन को खत्म कर लो क्योंकि एक बार स्त्री ने जिसे अपने पति के रूप में स्वीकर कर लिया, जीवन भर उसी के साथ जीवनयापन करना जरूरी है। अन्यथा यह सभी के साथ धोखा होगा।
माता पार्वती ने अपनी सखी की बात को मानते हुए खुद को खत्म करने के लिए एक गुफा में कैद कर लिया। और वहाँ तपस्या करते हुए खुद को खत्म करने की कोशिश करने लगीं। वह तपस्या मे लीन होकर समाधि लेना चाहती थीं।
तभी उनकी तपस्या से खुश होकर वहाँ भगवान शिव प्रकट हुए। भोलेनाथ ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकर कर लिया। और उसके उपरान्त महादेव कैलाश लौट आए।
यहां माता पार्वती ने सुबह उनके द्वारा बनाए शिवलिंग और पूजा की समग्र सामग्री को नदी में विसर्जित कर दिया और अपनी सखी के साथ व्रत का पारण कर लिया। तभी वहाँ माता पार्वती के पिता गिरिराज आ पहुंचे। उन्होंने सारी बात जानी, अपनी पुत्री की हालत देखते हुए उन्होंने इस विवाह के लिए हां कर दी। और उसके उपरांत शाश्वत ढंग से हम दोनों का विवाह संपन्न हुआ।
इस कथा के उपरांत महादेव कहते हैं कि हे पार्वती! भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष के तृतीय दिन जो तुमने व्रत किया और जो तुमने अराधना की थी, उसी के कारण व फलस्वरुप तुम्हारा और मेरा विवाह हुआ है। अतः इस दिन जो भी कुंवारी यह व्रत करेगी, उसे मेरे द्वारा मनोवांछित फल दिया जाएगा। इसलिए जो भी कुंवारी यह व्रत करना चाहती है उसे यह व्रत पूरी लगन और ध्यान से करना चाहिए। उसकी आस्था अडिग होनी चाहिए।
अन्य तीज (Other Teej Story in Hindi)
भारत देश में तीज को अलग अलग नामों से अलग अलग देशों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। हालांकि तीज के दौरान पूरे देश में माता पार्वती और भगवान शिव की ही उपासना की जाती है। इतना ही नहीं पूरे देश में इस तीज को मनाया भी एक ही दिन जाता है, लेकिन हर प्रांत में तीज के पीछे मौजूद पौराणिक कहानी बदल जाती है। आइए जानते हैं भारत में मौजूद तीज के बारे में।
हरियाली या हरितालिका तीज (Hariyali Teej)
हरियाली तीज को हरियाली तीज इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह सावन के मौसम में मनाई जाती है और सावन के मौसम में अक्सर चारो तरफ हरियाली रहती है और पेड़ पौधे खिलखिला रहे होते हैं। इस तीज के पीछे माता पार्वती और भगवान शिव की कहानी मौजूद है। कहा जाता है कि इस दिन ही भगवान शिव प्रसन्न होकर माता पार्वती को विवाह का वचन देकर गए थे।
भारत के अन्य हिस्सों में हरियाली तीज :-
- पंजाब – पंजाब में तीज को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। पंजाब में तीज को तियन के नाम से जाना जाता है। घरों के बाहर झूले लगाए जाते हैं और व्रत करने वाली स्त्रियों और कन्याओं को ससुराल वाले या घर वाले तरह तरह के उपहार जैसे कपड़े, गहने इत्यादि देते हैं। इस दिन पंजाब में बच्चे पतंग उड़ाते हैं और घरों में मिठाइयाँ, खास तौर पर घेवर बनाए जाते हैं।
- चंडीगढ़ – चंडीगढ़ की तीज काफी ज्यादा विशेष होती है। इस दौरान रॉक गार्डन में स्पेशल अरेंजमेंट की जाती है, ताकि पूरा शहर एक साथ तीज मना सके।
- हरियाणा – हरियाली तीज, हरियाणा के प्रमुख त्योहारों में से एक है और आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस दिन यहां पर आधिकारिक अवकाश भी होता है। तीन के दिन पंजाब की तरह ही हरियाणा में भी घरों के बाहर झूले लगाए जाते हैं और बच्चे पतंग उड़ाते हैं। कुल मिलाकर हरियाणा के लिए यह त्योहार हर्षोल्लास का केंद्र रहता है।
- राजस्थान – राजस्थान के लिए हरियाली तीज सबसे खास त्योहारों में से एक है। इस दिन पूरे राजस्थान की छटा देखते ही बनती है। अगर कहा जाए कि यह त्योहार पूरे राजस्थान को एक साथ लेकर आता है तो यह कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा। राजस्थान में तीज को एक नहीं बल्कि दो दिनों तक मनाया जाता है। तीज के एक दिन पहले यहां पर सिंधारा तीज मनाई जाती है जिसमें कन्याएं एवँ युवतियां अपने हाथों मे मेहंदी लगाती हैं। राजस्थान में भी भगवान शिव और माता पार्वती की ही उपासना की जाती है और यहां पर भी पौराणिक कथा वही है।
सिंधारा तीज (Sindhara Teej)
सिंधारा तीज भी हरियाली तीज की तरह ही सावन में मनाई जाती है और पौराणिक कथा से लेकर सब कुछ समान ही है। हालांकि इसमे एक रस्म और जुड़ जाती है जिसमें मां द्वारा अपनी बेटियों को कपड़े, गहने, बिंदी, मेहंदी इत्यादि दी जाती है। इन उपहारों को सिंधारा के नाम से जाना जाता है।
कजरी तीज (Kajari Teej)
कजरी तीज को भी उत्तर भारत में उसी दिन मनाया जाता है जिस दिन हरियाली तीज या हरितालिका तीज को मनाया जाता है। जैसा कि आप जानते ही हैं यह सभी तीज एक ही दिन मनाई जाती हैं और इनमे उपासना भी केवल एक, यानी कि भगवान शिव और माता पार्वती की ही की जाती है। कजरी तीज को खास तौर पर उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है।
कजरी तीज मनाने वाली कन्याएं प्रायः नीम की पूजा करती हैं और सत्तू खाकर अपना व्रत तोड़ती हैं। उत्तर प्रदेश में भी तीज का व्रत जल और अन्न त्याग कर ही पूर्ण किया जाता है। राजस्थान के कुछ जिलों में भी कजरी तीज मनाई जाती है। बूंदी में कजरी तीज के अवसर पर मेला लगता है। कजरी तीज को उत्तर भारत के बहुत से इलाकों में मनाया जाता है। उत्तर भारत के कुछ इलाकों मे कजरी तीज और हरियाली तीज को एक साथ छोटी तीज और बड़ी तीज की तरह मनाया जाता है।
अखा तीज (Akha Teej)
अखा तीज को बैसाख महीने की शुक्ल पक्ष के तीसरे दिन मनाया जाता है। यह भगवान परशुराम के जन्मदिन पर मनाई जाती है। भगवान परशुराम, भगवान विष्णु के छठे अवतार थे। कहा जाता है कि इसी दिन वेद व्यास और गणेश ने महाभारत लिखना शुरू किया था। अखा तीज को भी भारत के कई हिस्सों में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इसी दिन जैन भी तीर्थंकर ऋषभ के लिए मानते हैं और गन्ने के रस से अपना व्रत खोलते हैं।
झूलन उत्सव (Jhulan Utsav)
झूलन उत्सव को भी तीज की तरह ही समस्त भारत में मनाया जाता है। यह तीज के दिन ही पड़ती है, हालांकि दोनों में फर्क़ यह है कि तीज में भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना की जाती है वहीँ झूलन उत्सव राधा और कृष्न को समर्पित है। दोनों में व्रत और अन्य सभी पहलू समान हैं।
तेलंगाना की काजल तीज (Kajal Teej of Telangana)
तेलंगाना में तीज एक प्रमुख त्योहार के रूप में मनाई जाती है, लेकिन यहां तक पहुंचते पहुंचते तीज का नाम बदलकर काजल तीज पड़ जाता है। इसे प्रमुख तौर पर पहले केवल बंजारा जनजातियों द्वारा मनाया जाता था, लेकिन अब इसका दायरा फैल रहा है।
गुजरात की केवड़ा तीज (Kevada Teej Of Gujarat)
केवड़ा तीज को प्रमुख तौर पर गुजरात में ही मनाया जाता है इसलिए इसे गुजरात की केवड़ा तीज ही कहा जाता है। इसे तीज की तरह सावन में शुक्ल पक्ष के तृतीय दिन मनाया जाता है। इसमे विशेष तौर पर भगवान शिव और माता पार्वती को केवड़े के फूल की भेंट चढ़ाई जाती है।
किस तरह मनाई जाती है हरियाली तीज? (How Hariyali Teej Is Celebrated)
हरियाली तीज का उत्सव सावन के शुरू होने से ही शुरू हो जाता है। सबसे पहले तो सावन शुरू होते समय या उसके पहले ही सभी युवतियों को उनके ससुराल से वापस बुला लिया जाता है। तीज एक ऐसा त्योहार है जिसे हमेशा मायके से ही मनाया जाता है। अगर आपने ऊपर मौजूद कथा को पढ़ा होगा तो आप जानते होंगे ऐसा क्यों। ऐसा इसलिए क्योंकि माता पार्वती ने यह व्रत अपने मायके में ही रहकर किया था।
क्या यह त्योहार विवाहित महिलाओं के लिए भी है? (Can married women celebrate Hariyali Teej?)
अक्सर यह सवाल पूछा जाता है कि क्या यह त्योहार विवाहित महिलाओं के लिए भी है। इसका जवाब है, हां। यह त्योहार विवाहित महिलाओं के लिए भी है। भगवान भोलेनाथ ने स्वंय कहा था कि यदि कोई विवाहित महिला भी इस व्रत को करती है तो उसके सुहाग की आयु में बढ़ोत्तरी होगी और साथ ही उसकी मनोकामनाएं भी पूरी होंगी।
तो ये थी हरियाली तीज की कथा / कहानी (Hariyali teej story in hindi)। आशा करते हैं की आपको हमारी ये पोस्ट पसंद आयी होगी और आप जो जानकारी खोज रहे थे वो आपको मिली होगी। अगर आपको उपयुक्त लगता है तो इस पोस्ट को नीचे दिए गए बटन के माध्यम से सोशल मीडिया में शेर करें जिससे और लोगों को भी ये जानकारी मिले।
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कुछ पूछे गए सवाल – FAQ
When is Hariyali Teej in 2021? २०२१ में हरियाली तीज कब मनायी जाएगी?
Answer
11-August 2021
Hariyali Teej will be celebrated on 11th August 2021.
हरियाली तीज ११ अगस्त २०२१ को मनायी जाएगी।
When is Hariyali Teej in 2022? २०२२ में हरियाली तीज कब मनायी जाएगी?
Answer
31-July 2022
Hariyali Teej will be celebrated on 31st July 2022
हरियाली तीज ३१ जुलाई २०२२ को मनायी जाएगी।
When is Hariyali Teej in 2023? २०२३ में हरियाली तीज कब मनायी जाएगी?
Answer
19 August 2023
Hariyali Teej will be celebrated on 19th July 2023
हरियाली तीज १९ अगस्त २०२३ को मनायी जाएगी।
What is Sindhara Teej? सिंधारा तीज क्या होती है?
Answer
सिंधारा तीज हरियाली तीज का दूसरा नाम है, जिसका नाम “सिंधरा” से मिलता है, जो उपहार और भोजन से भरी बाल्टी है जिसे बेटी के माता-पिता इस अवसर पर ससुराल भेजते हैं।
इन उपहारों में घर पर बनी मिठाइयाँ, घेवर (मेंहदी ट्यूब), कंगन और अन्य सामान संग्रह का अधिकांश हिस्सा बनाते हैं।
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