सत्य की जीत और प्रकाश के उत्सव दीपावली पर क्या करें (What to do on Diwali in Hindi)? दीपावली पर क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, यह जानने के लिए इस लेख को अंतिम तक पढ़े।
दीवाली या दीपावली, एक ऐसा त्यौहार है जिसे भारत के हर क्षेत्र में पूरे धूमधाम से मनाया जाता है। सत्य की जीत और अज्ञानता को दूर करने का प्रतीक माना जाने वाला यह पर्व रोशनी का उत्सव है। दीपावली का अर्थ है “दीपों की पंक्तियां”।
कार्तिक मास के पंद्रहवें दिन जो कि मुख्य रूप से अक्टूबर या नवंबर में आता है, को दीपावली का त्योहार मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम के चौदह वर्षों के वनवास से लौटने के बाद की खुशी में दीवाली मनाई जाती है।
दीवाली भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है और सबका प्रिय भी है। इस दिन सारी गलियां दीपों से जगमगाती और रंगोली एवं फूलों से सजी नजर आती है। नए वस्त्रों में खिलखिलाते लोग, दर्शनीय आतिशबाजियां और स्वादिष्ट पकवान के आदान-प्रदान के अलावा भी दीपावली पर बहुत कुछ किया जाता है।
साथ ही साथ दीपावली के दिन धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है और कई जगह जैसे कि पश्चिम बंगाल में मां काली को भी पूजा जाता है। इस लेख के जरिए हम आपको बताएंगे कि दीपावली पर क्या करें, दीपावली क्यों मनाई जाती है, इसके पीछे की कहानी, और भारत में इसे कैसे मनाते हैं।
दीपावली क्यों मनाई जाती है
Contents
- 1 दीपावली क्यों मनाई जाती है
- 2 दीपावली पर क्या करें – मुख्य बातें (Key list on What to do on Diwali in Hindi)
- 3 FAQ – दीपावली से जुड़े अन्य सवाल
- 4 दीपावली पर ये चीज़े ना करें – What not to do on Diwali?
- 5 दीपावली है पांच दिनों का पर्व – पाँच दिनों का महत्व
- 6 समापन
- 7 दीपावली पर क्या करें से मिलती जुलती अन्य पोस्ट्स पढ़ें – Posts related to What to Do on Diwali in Hindi
क्यों मनाई जाती है दीपावली – “दीपावली क्यों मनाई जाती है” इस संदर्भ में हम ऐसी 6 पौराणिक कहानियां लेकर आए हैं। दीवाली मनाने के पीछे क्या कारण है वो ये कहानियां आपको बताएंगी और साथ ही साथ आपको ये भी बताएगी कि दीपावली पर क्या करें। तो चलिए देखते हैं ऐसी 6 कहानियां जिसके कारण हम दीपावली का त्योहार मनाते हैं।
जब भगवान श्री राम 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे
यह ऐसी कहानी है जो लगभग सभी भारतीय को पता है। इस कहानी के अनुसार भगवान श्री राम के वनवास से अयोध्या लौटने की खुशी में दीपावली का त्योहार मनाया जाता है। माता कैकेई के वचन की वजह से राम को वनवास जाना पड़ता है। अपने पिता के आदेश को सम्मान मानते हुए श्री राम लक्ष्मण और सीता 14 वर्ष के वनवास को निकल पड़ते हैं। वहां वन में रावण छल से सीता का अपहरण कर लंका ले आता है।
तब भगवान राम हनुमान और वानर सेना की मदद से रावण का वध कर सीता को छुड़ा लाते हैं। रावण के वध का यह दिन दशहरा के रूप में मनाया जाता है। और जब राम, सीता और लक्ष्मण अयोध्या लौटते हैं तो उनके आगमन की खुशी में राज्य के लोग काफी खुशियां मनाते हैं। तभी से यह दिन दीपावली के रूप में मनाया जाता है।
जब माता लक्ष्मी का इस सृष्टि में अवतार हुआ था
‘दीपावली क्यों मनाई जाती है’ इसके पीछे एक और पौराणिक कथा है जो मां लक्ष्मी के इस सृष्टि में अवतार से जुड़ा है। हिंदी कैलेंडर के अनुसार दीपावली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन समुद्र मंथन के दौरान मां लक्ष्मी इस सृष्टि में अवतार लेकर आईं थीं। इसी वजह से दीवाली के दिन दीप जलाने के साथ साथ धन और समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है। दीपावली मनाने का एक कारण इस कथा को भी माना जाता है।
जब पांडव वापस अपने राज्य लौटे थे
महाभारत की कथा से हर एक भारतीय अवगत है। दीपावली मनाने की एक और कथा महाभारत से संबंधित है। जब कौरवों ने शकुनि मामा की चाल से शतरंज में पांडवो का सब कुछ छीन लिया था तो उन्हें राज्य छोड़ 13 वर्षों के लिए वनवास जाना पड़ा था। इस 13 वर्ष के वनवास के बाद वो कार्तिक मास की अमावस्या के दिन अपने राज्य लौटे थे। पांडवो के लौटने की खुशी में उनके राज्य के लोगों ने दीप जलाकर उनके आगमन की खुशियां मनाई थी।
जब श्री कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का संहार किया था
ऐसा माना जाता है कि कार्तिक मास की अमावस्या के ही दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था। नरकासुर राक्षस प्रागज्योतिषपुर का राजा हुआ करता था। एक बार नरकासुर ने देवमाता अदिति की शानदार बालियां छीन ली। वह महिलाओं पर काफी अत्याचार भी करता और उसने संतों आदि की 16 हजार स्त्रियों को बंदी बना कर रखा था। अदिति कृष्ण की पत्नी सत्यभागा की संबंधी थी। तब श्री कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभागा की मदद से नरकासुर का संहार किया और सभी स्त्रियों को उसके चंगुल से छुड़ाया।
इस दिन राजा विक्रमादित्य का राज्याभिषेक हुआ था
प्राचीन भारत के महान राजा विक्रमादित्य काफी आदर्श राजा हुआ करते थे। उन्हें उनके साहस और उदारता के कारण जाना जाता था। ऐसा माना जाता है कि कार्तिक मास की अमावस्या के दिन उनका राज्याभिषेक हुआ था और तभी से दीपावली मनाया जाने लगा।
इस दिन सिक्खों के 6वें गुरु को आजादी मिली थ
एक बार मुगल राजा जहांगीर ने सिक्खों के 6वें गुरु हर गोविंद सिंह और 52 राजाओं को बंदी बनाकर ग्वालियर के किले में रखा था। ऐसा माना जाता है कि गुरु हर गोविंद सिंह जी को कैद करने के बाद जहांगीर मानसिक रूप से काफी परेशान रहने लगा।
उसने अपने स्वप्न में देखा कि एक फकीर गुरु जी को आजाद करने का हुक्म दे रहा है। जब जहांगीर ने गुरु हर गोविंद सिंह जी को आजाद करने का कहा तो गुरु अपने साथ बाकी राजाओं को रिहा करने की भी मांग करने लगे। उनके कहने पर सभी को रिहाई मिली और इसी वजह से सिख समुदाय में दीपावली को विशेष महत्त्व दिया जाता है।
दीपावली पर क्या करें – मुख्य बातें (Key list on What to do on Diwali in Hindi)
दीपावली पर क्या करें ? ऐसा माना जाता है कि दीपावली पर अर्धरात्रि के समय महालक्ष्मी सद्ग्रहस्थों के घरों में विचरण करतीं हैं। इसलिए इस दिन घरों को साफ-सुथरा और सजाकर रखना चाहिए।
आपको बता दें कि दीपावली का त्योहार पांच दिनों तक मनाया जाता है जिसमें धनतेरस, नरक चतुर्दशी, लक्ष्मी पूजन, गोवर्धन पूजा और भाईदूज आते हैं। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि आप दीपावली पर क्या करें। इस दिन सुबह से लेकर रात तक क्या-क्या करना चाहिए कि मां लक्ष्मी आपके घर में निवास करें।
- सुबह स्नान-ध्यान कर स्वच्छ वस्त्र का धारण करें।
- सुबह स्नान-ध्यान कर स्वच्छ वस्त्र का धारण करें।
“मम सर्वापच्छांतिपूर्वकदीर्घायुष्यबलपुष्टिनैरुज्यादि-सकलशुभफल प्राप्त्यर्थं
गजतुरगरथराज्यैश्वर्यादिसकलसम्पदामुत्तरोत्तराभिवृद्ध्यर्थं इंद्रकुबेरसहितश्रीलक्ष्मीपूजनं करिष्ये।”
- इस दिन घरों को सजाएं एवम् दिन में पकवान बनाएं।
- शाम को फिर से स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- दीपावली के समय घर की दीवारों को चूने या गेरू से पोतकर मां लक्ष्मी का चित्र बनाए।
- भोजन में आप स्वादिष्ट व्यंजन एवं पकवान बना सकते हैं।
- पूजा के लिए लक्ष्मी जी के चित्र के सामने एक चौकी रखें और उसपर मौली बांध दें।
- इस चौकी पर गणेश जी की मूर्ति को स्थापित करें। फिर गणेश जी की तिलक लगाकर पूजा करें।
- छः चौमुखे दीपों और 26 छोटे दीप को चौकी पर रखें। इन्हें तेल-बत्ती डालकर जलाएं।
- उसके बाद विधिवत पूजा जल, चावल, फल, धूप, इत्यादि से शुरू करें।
- पूजा होते ही घर के हर कोने में एक-एक दीप जला कर रखें।
- एक दीप जलाकर मां लक्ष्मी की पूजा निम्न मंत्र से शुरू करें।
नमस्ते सर्वदेवानां वरदासि हरेः प्रिया।
या गतिस्त्वत्प्रपन्नानां सा मे भूयात्वदर्चनात॥
- साथ ही इस मंत्र से इंद्र का भी ध्यान करें-
ऐरावतसमारूढो वज्रहस्तो महाबलः।
शतयज्ञाधिपो देवस्तमा इंद्राय ते नमः॥
- इस मंत्र से कुबेर का ध्यान करें-
धनदाय नमस्तुभ्यं निधिपद्माधिपाय च।
भवंतु त्वत्प्रसादान्मे धनधान्यादिसम्पदः॥
- इसके बाद घर की तिजोरी में गणेश एवं लक्ष्मी जी की मूर्ति रख पूजा करें।
- ऐसा माना जाता है कि लक्ष्मी पूजा रात के बारह बजे करना ज्यादा लाभकारी है।
- रात को बारह बजे दीवाली की पूजा कर के चने या गेरू में रुई भिंगाकर चूल्हे पर तिलक लगाएं।
FAQ – दीपावली से जुड़े अन्य सवाल
Why Diwali is celebrated for what reasons? दीवाली मनाने का मुख्य कारण क्या है?
दिवाली, जिसे दीपावली के नाम से भी जाना जाता है, एक ऐसा त्योहार है जो भारत में व्यापक रूप से मनाया जाता है और बुराई पर पुण्य की जीत का प्रतीक है। भगवान राम ने रावण (दशहरा) को नष्ट कर दिया और दिवाली से 20 दिन पहले सीता को लंका की कैद से बचाया। यह त्योहार भगवान राम के 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की याद में मनाया जाता है
Which are the 5 Diwali days? दीपावली के ५ दिन कौन कौन से होते हैं?
- प्रथम दिन – धन तेरस
- द्वितीय दिन – नरक चौदस
- तृतीया दिन – लक्ष्मी पूजन अर्थात् दीपावली
- चतुर्थ दिन – गोवर्धन पूजन
- पंचम दिन – भाई दूज
Why is Diwali important to Indian culture? भारतीय संस्कृति में दीवाली का क्या महत्व है?
रोशनी का यह पांच दिवसीय त्योहार, जिसे सभी धर्मों के एक अरब से अधिक लोगों द्वारा मनाया जाता है, प्रार्थना, दावत, आतिशबाजी और कुछ के लिए एक नया साल लाता है। दिवाली भारत में सबसे महत्वपूर्ण उत्सव है, जो अंधकार पर प्रकाश की जीत, अज्ञान पर ज्ञान और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
How Do Sikh celebrate Diwali? क्या सिख समुदाय के लोग भी दीपावली मनाते हैं? कैसे?
दीवाली सिखों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह 1619 में गुरु हरगोबिंद और 52 अन्य राजकुमारों की कैद से भागने की याद दिलाता है। सिखों ने गुरु हरगोबिंद की वापसी के उपलक्ष्य में स्वर्ण मंदिर को रोशन किया और यह परंपरा आज भी जारी है।
What is the date of Diwali in 2021? २०२१ में दीवाली कब है?
Year | Date of Diwali |
---|---|
2020 | Saturday, 14 November 2020 |
2021 | Thursday, 4 November 2021 |
2022 | Monday, 24 October 2022 |
2023 | Sunday, 12 November 2023 |
2024 | Friday, 1 November 2024 |
2025 | Monday, 20 November 2025 |
2026 | Sunday, 8 November 2026 |
2027 | Friday, 29th October 2027 |
दीपावली पर ये चीज़े ना करें – What not to do on Diwali?
घर की सुख-समृद्धि के लिए दीवाली की पूजा की जाती है। इसलिए कुछ नियमों को पालन करना चाहिए। आपने ये तो जान लिया कि दीपावली पर क्या करें लेकिन क्या नहीं करना पता होना भी उतना ही ज़रूरी है। तो देखते है कि दीपावली के दिन क्या नहीं करना चाहिए।
- दीवाली के दिन पूरा घर साफ़-सुथरा रखें। इस दिन घर के मुख्य द्वार पर गंदगी नहीं रखनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि गंदगी रहने से माता लक्ष्मी घर में प्रवेश नहीं करती।
- दीपावली के दिन एक चीज का ध्यान रखें कि किसी को भी कोई चमड़े से बनी वस्तु तोहफे में ना दें। इससे मां लक्ष्मी नाराज होती हैं।
- ऐसा माना जाता है कि लक्ष्मी पूजन के समय सफेद रंग के फूल से पूजा करनी चाहिए। कमल का फूल शुभ माना जाता है क्योंकि मां लक्ष्मी को कमल अतिप्रिय है।
- दीपावली के दिन अपने दरवाज़े से किसी गरीब या जरूरतमंद को खाली हाथ ना लौटने दे।
दीपावली है पांच दिनों का पर्व – पाँच दिनों का महत्व
आपने ये तो जान लिया कि दीपावली पर क्या करें, आइए अब जानते हैं दीपावली के ५ दिनों का महत्व।
दीवाली का त्योहार पांच दिनों तक मनाया जाता है जिसकी शुरुआत धनतेरस से होती है। भारत के अलग अलग कोने में दीपावली का त्योहार अलग अलग तरीके से मनाया जाता है। यदि दक्षिण भारत की बात करें तो वहां नरक चतुर्दशी को विशेष महत्त्व दिया जाता है।
दक्षिण भारत में नरक चतुर्दशी का दिन दीवाली का सबसे प्रमुख दिन होता है। दूसरी ओर उत्तर भारत में दीपावली पांच दिनों तक मनाया जाता है जो धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा, तक चलता है।
दीपावली का पहला दिन – धनतेरस
दीवाली का पहला दिन धनतेरस या धन त्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन कुबेर, यमदेव और धन्वंतरि की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि धनतेरस के दिन ही भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। धनतेरस के दिन धातु के बर्तन या आभूषण खरीदने की परंपरा है।
दीपावली का दूसरा दिन – नरक चतुर्दशी
दीपावली के दूसरे दिन को नरक चतुर्दशी या काली चौदस के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि नरक चतुर्दशी के दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का संहार किया था। कृष्ण ने नरकासुर का वध कर उसके चंगुल से सोलह हजार कन्याओं को मुक्त किया था। इसी उपलक्ष में दीपों की बारात सजाई गई थी। ऐसा माना जाता है कि नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करने से सारे पाप समाप्त हो जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।
दीपावली का तीसरा दिन – दीपावली अथवा लक्ष्मी पूजन
दीपावली के तीसरे दिन स्वयं दीवाली का मुख्य पर्व मनाया जाता है। इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि कार्तिक मास की अमावस्या के ही दिन मां लक्ष्मी ने समुद्र मंथन से अवतार लिया था। लक्ष्मी जी धन, वैभव, ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि की देवी हैं। इसलिए मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए दीपावली के दिन घरों को सजाकर दीप जलाए जाते हैं। दीपावली के तीसरे दिन रात को मां लक्ष्मी की पूजा विधिवत करनी चाहिए और घर के हर कोने में दीप जलानी चाहिए। इससे घर में लक्ष्मी का वास होता है और दरिद्रता दूर होती है।
दीपावली का चौथा दिन – गोवर्धन पूजा
दीपावली के चौथे दिन गोवर्धन पूजा या अन्नकूट पर्व मनाया जाता है। कार्तिक मास के शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा मनाई जाती है। इस दिन गौ माता की पूजा भी की जाती है। साथ ही आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन बनाए जाते हैं और उनकी पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि गोवर्धन पूजा के लिए भगवान श्री कृष्ण ने गोकुलवासियों को इन्द्र के प्रकोप से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी तर्जनी उंगली पर उठा लिया था।।
दीपावली का पांचवा दिन – भाई दूज अथवा भैय्या दूज
दीपावली के पांचवे दिन को भाई दूज कहा जाता है। यह पांच दिवसीय दीपावली के पर्व का आखिरी दिन होता है। भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के रिश्तों को मजबूत बनाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाई को तिलक लगाकर भोजन कराती है और उसकी लम्बी आयु की कामना करती है। साथ ही भाई अपनी बहन की खुशियों की कामना करता है।
समापन
अब आपको पता चल गया होगा कि दीपावली पर क्या करें (what to do on diwali in hindi), आखिर दीपावली क्यूँ मनाते हैं और इस दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए। वैसे तो भारत में कई सारे त्योहार मनाए जाते हैं और हरेक त्योहार अपने में खास है। लेकिन दीपावली भारत के मुख्य त्योहारों में सबसे सुंदर माना जाता है। दीपावली के दिन सारी गलियां दीपों से जगमगाती और सुसज्जित नजर आती है।
लोग नए-नए वस्त्रों में एक-दूसरे से मिठाइयों का आदान-प्रदान करते नजर आते हैं। इस दिन दीप जलाकर अज्ञानता, लोभ, ईर्ष्या, क्रोध, अंहकार, इत्यादि को दूर किया जाता है। दीपावली का त्योहार संसार को शांति और भाईचारे का संदेश देता है। उम्मीद है आपको यह लेख पसंद आया हो। तो अब आपको यह सोचने की जरूरत नहीं कि दीपावली क्यों मनाई जाती है, इसके पीछे की कहानी क्या है और दीपावली पर क्या करें। यदि आपको इस संदर्भ में कोई समस्या आती है तो इस लेख को सावधानी से दुबारा पढ़ें।
Dhanteras Pooja – 5 Important Considerations धनतेरस की पूजा कैसे करें
Govardhan Pooja – 1st Beautiful Day After Diwali – गोवर्धन पूजा की कथा
भाई दूज क्यों मनाते हैं – क्या है भाई दूज की कहानी – 3 Powerful Bhai Dooj Story in Hindi
करवा चौथ में छलनी का महत्व – With 3 Popular Karvachauth Stories
जन्माष्टमी की कथा – Beautiful Janmashtami Story in Hindi with 6 Pooja steps